Sunday, December 27, 2015

यूपी आईएएस सुनील कुमार, सदाकांत समेत कई पर जालसाजी का आरोप : एफआईआर कराने को समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने भेजी लखनऊ एसएसपी को अर्जी



लखनऊ/28 दिसम्बर 2015/ लखनऊ की एक चर्चित समाजसेविका ने यूपी कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी और वर्तमान में प्रमुख सचिव समाज कल्याण का काम देख रहे सुनील कुमार और यूपी कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी और प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन का काम देख रहे सदाकांत समेत कई अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने और अभिलेखों को छुपकर कूटरचित मिथ्या दस्तावेज बनाकर जालसाजी करने का आरोप लगाते हुए लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सीआरपीसी की धारा 154(3) के तहत अर्जी देकर भारतीय दंड विधान की सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग की है. इस अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार के कई विशेष सचिवों और उप सचिवों को भी सह-अभियुक्त बनाया गया है. बकौल समाजसेविका उन्होनें पहले सीआरपीसी की धारा 154(1) के तहत थाना हजरतगंज में अर्जी दी थी पर कोई कार्यवाही न होने पर अब उन्होंने मजबूर होकर एसएसपी को यह दरखास्त दी है.



लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा दायर बिभिन्न आरटीआई आवेदनों पर आये जबाबों से उनके हाथ उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार (आई० ए० एस०), प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, विशेष सचिव केदार नाथ,उप सचिव राज कुमार त्रिवेदी एवं उत्तर प्रदेश सचिवालय के अन्य कार्मिकों के द्वारा पद का दुरुपयोग कर सरकार से छल करने के प्रयोजन से तथ्यों को छुपाने और कूटरचना कर मिथ्या दस्तावेज बनाकर जारी करके  सरकार को आर्थिक क्षति कारित करने के अपराध के पुख्ता सबूत आने पर उन्होंने बीते 23 अगस्त को थाना हजरतगंज के प्रभारी को प्रमाणों के साथ एफ.आई.आर. की तहरीर दी थी.उर्वशी ने बताया कि इस जालसाजी को करने में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश,उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश,नियमावलियों और शासनादेशों तक को ताक पर रख दिया गया है.


उर्वशी के अनुसार जब हजरतगंज थाने के प्रभारी ने इन रसूखदार अभियुक्तों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की सूचना आरटीआई में मांगे जाने पर भी उन्हें नहीं दी तो अब उन्होंने एसएसपी को तहरीर देकर एफआईआर की मांग की है.उर्वशी ने बताया कि एसएसपी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने हजरतगंज थाने के प्रभारी द्वारा उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश और  CrPC की धारा 154 का अनुपालन न करने के लिए थानाध्यक्ष को भी दण्डित करने की मांग की है.


उर्वशी ने बताया कि उनके द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद सुनील कुमार ने अपना अपराध छुपाने के लिए गुपचुप रूप से समाज कल्याण अनुभाग – 1 का कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015 जारी करके अपनी गलती को छुपाने का कार्य भी किया है. बकौल उर्वशी, एसएसपी को भेजे पत्र में उन्होंने सुनील कुमार द्वारा जारी किये गए कार्यालय ज्ञाप संख्या 3219/26-1-2015-स0क0-1 लखनऊ दिनांक 24 अक्टूबर 2015  को इन सभी के द्वारा किये गए अपराध की स्वीकारोक्ति बताते हुए इसे  सबूत के तौर पर भेजा है.


उर्वशी ने बताया कि यदि एसएसपी द्वारा अगले 15 दिनों में इन रसूखदार और उच्च पदों पर बैठे भ्रष्टों के खिलाफ  कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो वे इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटायेंगी.

Friday, December 25, 2015

पत्रकार महेंद्र अग्रवाल निवासी 326ए,प्रिन्स काम्प्लेक्स,नवल किशोर रोड,हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश और रेखा गौतम,संपादक निष्पक्ष दिव्य सन्देश,ए-1/30,संजय गाँधी पुरम,फैजाबाद रोड,लखनऊ के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण



पत्रकार महेंद्र अग्रवाल निवासी 326,प्रिन्स काम्प्लेक्स,नवल किशोर रोड,हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश और रेखा गौतम,संपादक निष्पक्ष दिव्य सन्देश,ए-1/30,संजय गाँधी पुरम,फैजाबाद रोड,लखनऊ के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण
  
सेवा में,                                                                                                                                                                                 
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
जनपद लखनऊ , उत्तर प्रदेश – 226001
"ssplkw-up" <ssplkw-up@nic.in>, "ssplko" <ssplko@up.nic.in>, "ssplko_up" <ssplko_up@nic.in>, "ssplkw" <ssplkw@up.nic.in>, "ssplkw_up" <ssplkw_up@nic.in>, "ssplkwup" <ssplkwup@nic.in>,


विषय :पत्रकार महेंद्र अग्रवाल निवासी 326ए,प्रिन्स काम्प्लेक्स,नवल किशोर रोड,हजरतगंज,लखनऊ, उत्तर प्रदेश और रेखा गौतम,संपादक निष्पक्ष दिव्य सन्देश,ए-1/30,संजय गाँधी पुरम,फैजाबाद रोड,लखनऊ द्वारा एकराय होकर असत्य और मानहानिकारक समाचार का प्रिंट प्रकाशन और वेबसाइट पर प्रकाशन करने के अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट आईपीसी और आईटी एक्ट की सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 154(3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र का प्रेषण 

महोदय,
अवगत कराना है कि मैंने विपक्षीगण उपरोक्त ने एकराय होकर मेरे और मेरे सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान के विरुद्ध असत्य और मानहानिकारक समाचार का प्रिंट प्रकाशन और वेबसाइट पर प्रकाशन करने का अपराध किया था l

मैंने पत्रकार महेंद्र अग्रवाल निवासी 326ए,प्रिन्स काम्प्लेक्स,नवल किशोर रोड,हजरतगंज,लखनऊ, उत्तर प्रदेश और रेखा गौतम,संपादक निष्पक्ष दिव्य सन्देश ए-1/30,संजय गाँधी पुरम,फैजाबाद रोड,लखनऊ दोनों को लीगल नोटिस भेजकर जबाब माँगा था और इन दोनों के द्वारा कोई भी जबाब न देने पर थाना हजरतगंज और थाना तालकटोरा के प्रभारियों को पत्र भेजकर इन दोनों के विरुद्ध आई.पी.सी. और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही की मांग की थी l थाना हजरतगंज और थाना तालकटोरा के प्रभारियों को भेजे पत्रों के 2 पेज की छायाप्रति, निष्पक्ष दिव्य सन्देश के 30 मई से 6 जून 2015 के समाचार के 1 पेज की छायाप्रति, रेखा गौतम को भेजे लीगल नोटिस के 4 पेज की छायाप्रति और पत्रकार महेंद्र अग्रवाल को भेजे लीगल नोटिस के 3 पेज की छायाप्रति संलग्न है l

इन थानों के प्रभारियों ने उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार { W.P.(Crl) No;68/2008 } के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुपालन में CrPC की धारा 154 में विहित व्यवस्थानुसार संज्ञेय अपराध के इस मामले में कार्यवाही नहीं की है अतः आपसे अनुरोध है कि पत्रकार महेंद्र अग्रवाल निवासी 326ए,प्रिन्स काम्प्लेक्स,नवल किशोर रोड,हजरतगंज,लखनऊ, उत्तर प्रदेश और रेखा गौतम,संपादक निष्पक्ष दिव्य सन्देश,ए-1/30,संजय गाँधी पुरम,फैजाबाद रोड,लखनऊ द्वारा एकराय होकर असत्य और मानहानिकारक समाचार का प्रिंट प्रकाशन और वेबसाइट पर प्रकाशन करने के अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट आईपीसी और आईटी एक्ट की सुसंगत धाराओं में दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराएं और इसकी सूचना मुझे भी दें l

संलग्नक : उपरोक्तानुसार संलग्नकों के 10 पेजों की छायाप्रतियां

दिनांक : 25-12-15

प्रतिलिपि ईमेल के माध्यम से निम्नलिखित को उनके स्तर से आवश्यक कार्यवाही हेतु संलग्नकों सहित प्रेषित :
1-      महामहिम श्री राज्यपाल -उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "hgovup" <hgovup@nic.in>, "hgovup" <hgovup@up.nic.in>,
2-      मुख्य मंत्री -उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "cmup" <cmup@nic.in>, "cmup" <cmup@up.nic.in>,
3-      मुख्य सचिव-उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "csup" <csup@up.nic.in>,
4- पुलिस महानिदेशक - उत्तर प्रदेश "dgp" <dgp@up.nic.in>, "dgpolice"
<dgpolice@sify.com>, "uppcc" <uppcc@up.nic.in>, "uppcc-up"
<uppcc-up@nic.in>,
5-   जिलाधिकारी - जनपद लखनऊ
     उत्तर प्रदेश, भारत,पिन कोड -226001
ई. मेल "dmluc@up.nic.in" <dmluc@up.nic.in>, "dmluc" <dmluc@nic.in>,"dmawaslko" <dmawaslko@gmail.com>,


भवदीया


( उर्वशी शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम,लखनऊ- 226017
मोबाइल :9369613513 ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com



--
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
Joint Secretary - Society for Fast Justice Lucknow
Vice Chairman - Save Cultural Values Foundation
102,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513

Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption   9455553838


http://upcpri.blogspot.in/
















Saturday, December 19, 2015

यूपी राज्यपाल 11 जनवरी को सुनेंगे आरटीआई कार्यकर्ताओं की समस्याएं : भेदभावपूर्ण मुआवजा नीति,यूपी के सूचना आयुक्तों की अक्षमता और आयुक्तों द्वारा किये जा रहे आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की बढ़ती घटनाओं पर होगी चर्चा.

लखनऊ/19 दिसम्बर 2015/ यूपी में आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन और बहराइच के मृत आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद के परिवार की लम्बे समय से दबी पडी मुआवजे की आबाज अब यूपी के राज्यपाल तक पंहुचेगी और इन मामलों में कुछ समाधान होने की उम्मीद नज़र आ रही है. लखनऊ के एक सामाजिक संगठन की अर्जी पर राजभवन ने इस संगठन की सचिव को दूरभाष कर सूचित किया है कि सूबे के राज्यपाल राम नाइक ने इस मुद्दे पर संगठन के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से रूबरू बातचीत के लिए आने बाले जनवरी माह में समय दे दिया है.  


दरअसल लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान ने बीते अक्टूबर महीने में राज्यपाल को एक पत्र लिखकर यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की गंभीर समस्याओं और बहराइच के मृत आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद के परिवार के मुआवजे की मांग को सुनकर उनका समाधान करने की गुहार लगाए हुए व्यतिगत भेंट हेतु समय देने का अनुरोध किया था. येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि राजभवन के कार्यालय ने उनको मोबाइल पर सूचित किया है कि राज्यपाल ने आने बाले 11 जनवरी को सायं 4 बजे उनकी संस्था के एक 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मिलकर  आरटीआई कार्यकर्ताओं के मुद्दे पर वार्ता करने के लिए समय दे दिया है. 


येश्वर्याज की सचिव और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने बताया कि यूपी में बीते कुछ वर्षों में आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की घटनाओं में बहुत अधिक इजाफा हुआ है. बकौल उर्वशी वैसे तो आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की सभी घटनाएं निंदनीय हैं परन्तु हाल की उत्पीडन की इन घटनाओं का सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण और भर्त्सनीय पहलू यह है कि इनमें से बहुतायत  घटनाएं उत्तर प्रदेश के सूचना आयोग की सुनवाइयों के दौरान सूचना आयुक्तों के हाथों पीड़ित होने बाले आरटीआई आवेदकों की हैं.


उर्वशी ने बताया कि उनके सामने अनेकों मामले आये हैं जिनमें सूचना आयुक्तों द्वारा उत्पीडन किये जाने के बाद आरटीआई आवेदकों ने राजभवन के समक्ष शिकायतें प्रस्तुत कीं हैं किन्तु राजभवन ने इन शिकायतों पर आरटीआई एक्ट की धारा 17 के प्राविधानों के अंतर्गत कार्यवाही करके शिकायतों को अग्रिम जांच के लिए उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने के स्थान पर इनको उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक सुधार विभाग के मार्फत बापस सूचना आयोग ही भेज दिया है जिससे समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है और आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है.   


उर्वशी ने बताया कि वे राज्यपाल को सूचना आयुक्तों के द्वारा किये जा रहे उत्पीडन और उनकी अक्षमता के सबूत देते हुए इन मामलों को अग्रिम जांच के लिए उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने की मांग करेंगी. उर्वशी ने कहा कि वे राज्यपाल के समक्ष यूपी की मुआवजा नीति को एकसमान और पारदर्शी बनाने की मांग रखते हुए  बहराइच जिले के हरदीगौरा ग्राम के समाजवादी पार्टी समर्थित पूर्व प्रधान द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता गुरु प्रसाद की ईंटों,लाठी,डंडों और बनके से कूंच-कूंच कर की गयी निर्मम हत्या के बाद उसके पीड़ित परिवार को मुआवजा दिए जाने के मुद्दे पर भी बातचीत करेंगी.


गौरतलब है कि गुरु  प्रसाद के परिवारीजनों ने मुआवजे की मांग करते हुए लखनऊ में जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क में 14 दिन तक धरना भी दिया था जिसे बीते अक्टूबर माह में लखनऊ के जिलाधिकारी राजशेखर के आश्वाशन पर पीड़ित परिवार ने स्थागित कर दिया था.


उर्वशी ने बताया कि राज्यपाल से मिलने जाने बाले प्रतिनिधिमंडल में सूचना आयुक्तों के हाथों पीड़ित हुए 2 आरटीआई कार्यकर्ता और  गुरु प्रसाद के पीड़ित परिवार के 2 सदस्य भी सम्मिलित रहेंगे.

Sunday, December 13, 2015

Make Indian Judges accountable, get court proceedings videographed : Urvashi Sharma



Know more about the event with more than 150 pics at http://upcpri.blogspot.in/2015/12/lucknow-nyay-yatra-candlelight.html

Lucknow/13 December 2015/With the aim of raising voices for making the Indian judiciary more natural, neutral, and fast, social activists from several registered NGOs from across the country assembled yesterday in Lucknow, the capital city of Uttar Pradesh.


Calling for transparency & accountability in judicial system to curb corruption over there, they,under the leadership of Urvashi Sharma, a well known RTI activist & Secretary of Yaishwaryaj Seva Sansthan  undertook a Peace-March from District Magistrate’s residence to Mahatma Gandhi Park near G.P.O. via Hazratganj and also staged a candlelight peaceful demonstration  at Mahatma Gandhi Park near G.P.O. in Lucknow.


While addressing media persons Urvashi said “We are espousing the cause of 10 crore litigants across India loitering in the hallowed corridors of several courts seeking justice. We feel intense need to do something so that these Litigants have to be rescued from their delusion that justice is real and attainable and is not a distant mirage. We are of the view that corruption in the judiciary not only threatens the rule of law but is one of the greatest violations of  human rights also”


Activists sent memorandums to President,Prime minister, Chief Justice of Supreme court, Governors & Chief Ministers of all states of India and to Chief Justices of all High courts   with their 5 demands for filling-up of all Vacant posts of judges within a stipulated time frame;appointing a Full time Commission called the National Judicial Commission or whatsoever to administer, supervise and monitor judicial appointment, define Indian Judicial Services (IJS) curriculum, perform audit on judges and deal with complaints against them;amending current laws to bring in transparency in judicial proceedings with audio and video recording;devising & implementing a system for fixing of maximum disposal time limits for cased in all category of courts in India and also for bringing transparency in the process of judicial appointments and in handling grievances against judges.


Legal right activists have urged the authorities to take prompt action at their end and oblige the nation. Humbly


Urvashi told media persons that soon similar demonstrations shall be organized first in all  state capitals and then in all district headquarters all across India.



More than 100 activists attended the demonstration .

दोषी और भ्रष्टाचारी न्यायधीशों की जांच के लिए बनें स्पेशल ज्युडिशिअल कमीशन जैसे स्वतंत्र आयोग : उर्वशी शर्मा


लखनऊ/12 दिसम्बर 2015/ आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में आज नज़ारा बदला हुआ था. लखनऊ का यह इलाका मौज मस्ती और शॉपिंग के लिए विश्वविख्यात है. पर आज की ‘अवध की शाम’ में हर कोई फ़िल्म अभिनेता सनी देओल की हिंदी फ़िल्म ‘दामिनी’ के अदालत में बोले गए डायलॉग ‘तारीख पे तारीख, ‘तारीख पे तारीख’, ‘तारीख पे तारीख’ को याद करता और गुनगुनाता नज़र आ रहा था. चौंकिए मत, यहाँ न तो दामिनी फ़िल्म की स्क्रीनिंग हो रही थी और न ही इस फ़िल्म से जुड़ा कोई कलाकार यहाँ आया हुआ था बल्कि लोग ऐसा बोल और गुनगुना रहे थे 12 फुट ऊंचे उस पोस्टर को देखकर जिसे लेकर आज यहाँ देश भर से आये हुए  सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने लखनऊ के सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में  लखनऊ के जिलाधिकारी आवास से हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क तक पैदल शांति मार्च ‘न्याय-यात्रा’ निकालकर भारत की अदालतों में ‘न्याय’ की जगह ‘तारीख पे तारीख’ ही मिलने की बात रखते हुए अदालती कार्यवाहियों में वीडियो रिकॉर्डिंग कराने, अदालतों में मामलों के निपटारे की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करने समेत अनेकों मांगों को बुलंद कर न्यायिक भ्रष्टाचार की भर्त्सना की और अदालती कार्यवाहियों में पारदर्शिता और जबाबदेही लाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की. न्याय यात्रा के संपन्न होने पर समाजसेवियों ने हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे मोमबत्ती जलाकर बैठकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया.


येश्वर्याज की सचिव और आरटीआई कार्यकर्त्ता उर्वशी शर्मा ने न्याय मिलने में देरी को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि देश भर की सभी अदालतों में सभी को एक समान,सस्ता,सही और त्वरित न्याय दिलाने के लिए चल रही देशव्यापी मुहिम के तहत ही आज इस कार्यक्रम का आयोजन यूपी की राजधानी लखनऊ में किया गया है जिसमें येश्वर्याज के साथ साथ दिल्ली की सामाजिक संस्था फाइट फॉर जुडिशिअल रिफॉर्म्स, गाजियावाद की राष्ट्रीय सूचना का अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट, लखनऊ की सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस, जन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, एस.आर.पी.डी.एम. समाज सेवा संस्थान, अवाम वेलफेयर सोसाइटी और सूचना का अधिकार कार्यकर्त्ता वेलफेयर एसोसिएशन ने भी अपने अपने बैनर के साथ प्रतिभाग किया l


कार्यक्रम की संयोजिका उर्वशी शर्मा ने कहा कि न्याय देने जैसा ईश्वरीय काम करने बाले जज भी आम लोगों के बीच से ही आये होते हैं और इस कारण उनमें गुणों के साथ साथ अवगुण भी होना स्वाभाविक ही है. उर्वशी ने भ्रष्टाचारी और अन्य मामलों के दोषी न्यायधीशों, जजों  की जांच के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्पेशल ज्युडिशिअल कमीशन जैसे स्वतंत्र आयोगों की स्थापना की मांग करते हुए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के खिलाफ कार्यवाही के लिए बनी सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस कमेटी द्वारा आज तक किसी भी न्यायधीश के खिलाफ कार्यवाही न करने के आधार पर इसे न्यायिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए  नाकाफी बताया. न्यायधीशों की भिन्न और महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों को इंगित करते हुए उर्वशी ने कहा कि सभी को न्यायधीशों से बहुत अधिक अपेक्षाएं होती हैं क्योंकि यदि लोकतंत्र का और कोई अंग गलती करता है तो सुधार का मौका होता है  लेकिन एक न्यायधीश के गलती करने पर उसे दूसरा मौका नहीं मिलता है । भारतीय संविधान  की बात करते हुए उर्वशी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता और समानता से पहले न्याय को जगह दिया जाना यह स्पष्ट करता है कि संविधान निर्माताओं ने भारत के सभी नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराने को प्रमुखता दी थी किन्तु आजाद भारत की सरकारें इस संविधान के लागू होने के 65 सालों के बाद भी न्यायिक प्रक्रियाओं में समानता स्थापित करने में असफल ही रही हैं.उर्वशी ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा स्वायत्तता के नाम पर जवाबदेही से बचने के कारण ही न्याय व्यवस्था दूषित हो गयी है और न्याय की एक पारदर्शी और जिम्मेदार प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का समाधान संभव ही नहीं है.


न्याय व्यवस्था के मकड़जाल में बहुतायत मध्यम वर्ग और गरीबों के फंसे होने की बात कहते हुए आंकड़ों की बात करते हुए उर्वशी ने कहा कि अभी देश में जजों की संख्या लगभग 19 हजार है जिसमें से लगभग 18 हजार निचली अदालतों में कार्य कर रहे हैं. उर्वशी ने बताया कि देश के उच्च न्यायालयों  में न्यायधीशों की संख्या  की संख्या अंतरराष्ट्रीय मानकों के सापेक्ष लगभग   30% कम है.भारत में  लगभग 62 हज़ार नागरिकों पर एक ही जज है जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों से बहुत कम है जिसके कारण देश की अदालतों में तीन करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं और देश की बढ़ती आबादी के चलते अगले 25 सालों में यह संख्या 15 करोड़ तक पहुंच जाएगी और यदि हम अभी नहीं चेते तो स्थिति अत्यन्त भयावह हो जायेगी. अभी निचली अदालतों में ढाई करोड़ से ज्यादा  मामले और उच्च न्यायालयों में 45 लाख से अधिक मामलों पर सुनवाई चल रही है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी  लगभग  70 हज़ार  मामले लंबित हैं.इनमें से एक चौथाई मामले ऐसे हैं जो पांच साल से भी अधिक समय से चल रहे हैं.

दिल्ली के समाजसेवी गुलशन पाहुजा का कहना था कि न्यायिक पारदर्शिता की कमी के कारण  न्यायिक प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार गहरे तक घर कर गया है और  इसलिए आज सभी के लिए एकसमान न्याय की बात बेमानी सी होती जा रहे है. फ़िल्म अभिनेता सलमान खान के केस का जिक्र करते हुए पाहुजा ने अदालती कार्यवाहियों की आडिओ-वीडिओ रिकॉर्डिंग की अनिवार्यता पर बल दिया तो वहीं मोदीनगर,गाजियावाद से आये समाजसेवी सुरेश शर्मा ने कहा कि वे यहाँ अर्थ आधारित उस न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करने को आये हैं जिसमें विशिष्ट लोग और अमीर लोग जेल जाने से बच जाते हैं और निर्दोष होने पर भी गरीब जेलों में पड़े रहने को मजबूर हैं. सुरेश ने कहा कि हालांकि अदालतों को न्याय का मंदिर कहे जाने बाली अदालतों का चक्कर काटना बहुत बुरा और कष्टदायक है और सभी ट्रायल कोर्ट और सभी अपीलीय कोर्ट में मामलों के निस्तारण की अधिकतम समयसीमा के निर्धारण की मांग की.  

आज आयोजित होने बाली लोक अदालतों का जिक्र करते हुए लखनऊ के राम स्वरुप यादव ने कहा कि इन लोक अदालतों में न्याय नहीं समझौता मिलता है. न्याय में देरी को न्याय न मिलने जैसा बताते हुए यादव ने भ्रष्टाचार को न्याय में देरी की मुख्य वजह बताया.



सरकारों का देश की सबसे बड़ी वादकारी होने पर चिंता व्यक्त करते हुए समाजसेवी तनवीर ने कहा कि यह आवश्यक है कि सरकारें भी अपने निर्णयों और फैसलों में स्पष्टता और पारदर्शिता लायें ताकि अदालतों पर पड़ा मुकदमों का बोझ कम हो सके.


दिल्ली के अरुण कुमार,हरिद्वार के मनोज कुमार, उन्नाव के ओम प्रकाश यादव,श्याम लाल यादव, सीतापुर के एच.एस.आनंद, लखनऊ की समाजसेविका इंदु सुभाष,पत्रकार राशिद अली आजाद, फरहत खानम,मो० हयात कादरी,स्वतंत्र प्रिय,अधिवक्ता रुवैद किदवई, अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ल, अधिवक्ता अरविन्द कुमार गौतम,अशफाक खान,संजय आजाद,अधिवक्ता अब्दुल्ला सिद्दीकी,शमीम अहमद,मनीष त्रिपाठी,होमेंद्र पाण्डेय,एस.के.शर्मा,राम पाल कश्यप,सूरज प्रसाद,सईद खान,टी.बी.गुप्ता,हरपाल सिंह,आर.डी.कश्यप,मारूफ हुसैन, अजय कुमार,अशोक यादव,अनुज कुमार,जे.पी. शाह,सरवन कुमार,विनोद कुमार यादव,राणा प्रताप यादव,मंजू वर्मा,बबिता सिंह,नीतू अवस्थी,समीर अंसारी,कवि अनिल अनाड़ी  समेत बड़ी संख्या में समाजसेवियों ने न्यायधीशों की नियुक्तिओं में पारदर्शिता लाने,अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जनसँख्या के समानुपातिक कोर्ट और न्यायधीशों की संख्या बढाकर प्रणालीगत समस्या को दूर किये जाने,न्यायिक प्रणाली में न्यायधीशों द्वारा दिए निर्णयों की संख्या और उनकी गुणवत्ता को लेकर उत्तरदायित्व निर्धारण की स्पष्ट व्यवस्था लागू किये जाने,सरकारी अधिकारी या पुलिस द्वारा किसी नागरिक पर किया गया केस  अदालत में गलत सिद्ध होने सरकारी अधिकारी या पुलिस पर स्वतः पेनाल्टी की व्यवस्था स्थापित किये जाने,गैर-आईपीसी अपराधों के लिए सीआरपीसी की व्यवस्था के अनुसार सेवानिवृत्त ज्युडिशल मैजिस्टे्रट या एग्जिक्युटिव मैजिस्ट्रेट को स्पेशल ज्युडिशल मैजिस्ट्रेट नियुक्त किए जाने,अदालत में सभी मामलों में मौखिक सुनवाई की अनिवार्यता के स्थान पर वादी और प्रतिवादी के लिखित पक्ष के आधार पर  भी फैसला किये जाने,अदालत द्वारा तारीख दिए जाने में उभय-पक्षों की रजामंदी जरूरी किये जाने, गैर-जरूरी कानून को खत्म करने,न्यायपालिका का प्रभावी तंत्र स्थापित करने के लिए समुचित संसाधन प्रदान करने, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आंच लाये बिना न्यायिक सुधार करने समेत अनेकों मांगे उठाईं.


समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी ने इस कार्यक्रम का समन्वयन और राम स्वरुप यादव ने सह-समन्वयन किया. कार्यक्रम के अंत में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के माध्यम से देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को ज्ञापन भेजा गया.