Saturday, July 20, 2019

RTI संशोधन विधेयक 2019 के जरिये आयोगों को बंधक बनाकर एक्ट को समाप्त करने की साजिश कर रही मोदी सरकार : उर्वशी शर्मा





लखनऊ / 20 जुलाई 2019 …………
भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा बीते कल लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश करने के बाद यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूबे की नामचीन आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की अगुआई में लामबंद होकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है l  बताते चलें कि इस विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।



उर्वशी की अगुआई में इकट्ठे हुए एक्टिविस्टों का कहना है कि इस विधेयक को लाने से पारदर्शिता के सवाल पर वर्तमान केंद्र  सरकार की प्रतिबद्धता पर सवालिया निशान लग गया है l एक्टिविस्टों ने मोदी सरकार पर न्यूनतम पारदर्शिता और अधिकतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करने का आरोप भी लगाया है l  



एक्टिविस्टों की अगुआई कर रही समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने बताया कि उन्होंने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर अवगत कराया है कि यदि यह  विधेयक कानून बन गया तो आरटीआई अधिनियम का  संस्थागत स्वरूप नष्ट हो जाएगा l बकौल उर्वशी सरकार का यह प्रयास है  कि सूचना आयोगों का अपना बंधक बनाकर इनकी स्वायत्तता समाप्त की जाए और आरटीआई एक्ट की व्यवस्थाओं को अव्यवस्थित करके ऐसे हालात बना दिए जाएँ कि सूचना का  अधिकार देश के नागरिकों को कोई परिणाम न दे सके l उर्वशी के अनुसार इस विधेयक के कानून बन जाने से आरटीआई का ढांचा सम्पूर्ण रूप से कमजोर होगा और यह विधेयक सूचना आयोगों की स्वतंत्रता को समाप्त करके सूचना आयुक्तों को अपने इशारों पर नचाने के  प्रशासनिक उद्देश्य से लाया गया है।



एक विशेष बातचीत में लखनऊ निवासी एक्टिविस्ट उर्वशी ने बताया कि अब तक  मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति 5 साल के लिए होती है लेकिन यदि यह विधेयक कानून बन जाता है तो केन्द्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल होगा या कितना होगा इसका फैसला केंद्र सरकार करेगी l पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तें चुनाव आयुक्तों के समान होती थीं लेकिन अब शर्तें बदली जाएंगी l  केंद्र सरकार सूचना आयोगों की स्वायत्ता और स्वतंत्रता को समाप्त करके इस संवैधानिक संस्था को कानूनी संस्था बनाने जा रही है जो सही नहीं है l मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है। ।

उर्वशी ने बताया कि इससे पहले साल 2018 में  भी केंद्र सरकार सूचना आयुक्तों के कार्यकाल, वेतन और अन्य भत्तों को नियंत्रित करने के लिए बिल लाई थी लेकिन उन जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुखर विरोध के बाद आने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र इसे इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था लेकिन अब  प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2019 के जिन्न को फिर से जिन्दा करके मोदी सरकार  शक्तियों को केन्द्र सरकार के पास केन्द्रित करने की साजिश कर रही है जिससे भारत का संघीय ढांचा कमजोर होगा l

संशोधित विधेयक को आरटीआई कानून से प्रभावित होने वाले और जुड़े हुए लोगों के बीच विचार-विमर्श के लिए नहीं रखे जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए विधेयक को लोक सभा के पटल पर इस प्रकार रखे जाने को केंद्र सरकार की पूर्व-विधान परामर्श नीति का उल्लंघनकारी होने की बात भी उर्वशी द्वारा भेजे गए ज्ञापन में लिखी गई है l उर्वशी के अनुसार प्रस्तावित संशोधन विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 से मिले चुनाव आयुक्तों के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह सूचना आयोगों  को अन्य ट्रिब्यूनलों से अलग माने l


उर्वशी ने बताया कि उन्होंने मांग की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि यह विधेयक कानून न बनने पाए l उर्वशी ने बताया कि वे देश भर के आरटीआई एक्टिविस्टों के संपर्क में हैं और यदि केंद्र सरकार ने इस विधेयक पर अपने कदम जल्द ही बापस नहीं खींचे तो एक देशव्यापी जनांदोलन चलाकर मोदी सरकार के इस जनविरोधी कदम का चहुमुंखी पुरजोर विरोध किया जाएगा l


Sunday, December 24, 2017

भ्रष्टाचार के कीटाणुओं से ग्रसित नौकरशाही को RTI की खुराक देकर करें स्वस्थ : उर्वशी शर्मा




















Lucknow/24-12-2017…………आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐशबाग क्षेत्र में आयोजित आरटीआई कार्यशाला में सूबे के सुदूर जिलों से आये आगंतुकों का स्वागत करते हुए येश्वर्याज की संस्थापिका और प्रबंधकीय सदस्य उर्वशी शर्मा ने वर्तमान परिपेक्ष्य में सूचना का अधिकार कानून की बढ़ती प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की l देश की नौकरशाही को भ्रष्टाचार के कीटाणुओं से ग्रसित बताते हुए उर्वशी ने आरटीआई के कीटनाशक का अधिक से अधिक प्रयोग करके नौकशाही को  स्वस्थ करने की जरूरत पर बल दिया l उर्वशी ने बताया कि अधिकांश लोकसेवक आरटीआई एक्ट को अपने ऊपर जबरदस्ती थोपा गया बेबजह का कानून मानते हैं जबकि  यह एक्ट इन सरकारी कर्मचारियों को अपने मालिक अर्थात देश के  नागरिकों को इन लोकसेवकों द्वारा किये जा रहे कार्यों के वारे में लगातार सूचित और अपडेट कर बेहतर सेवा प्रदान करने के उनके कर्तव्यों में मदद करके अपेक्षाकृत पारदर्शी , उत्तरदायी भ्रष्टाचार मुक्त और बेहतर प्रशासन को बनाए रखने के लिए लाया गया कानून है।

कार्यक्रम के आगंतुकों को नई दिल्ली की संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव की ओर से येश्वर्याज को उपलब्ध कराई गईं आरटीआई गाइड्स का निःशुल्क वितरण किया गया l

टेक्निकल सत्र की शुरुआत करते हुए आरटीआई एक्सपर्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने सूचना के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत दिया गया मूल अधिकार बताते हुए कहा कि यह  नौकरशाही की जिम्मेदारी है कि संविधान में गरीबों के लिए किये गए सभी वादे  पूरे किये जाएँ और आरटीआई को सरकारों के गुड गवर्नेंस एजेंडे को प्राप्त करने के लिए आवश्यक होने के विषय पर विस्तार से चर्चा की l  भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा प्रमाणित किये गए आरटीआई एक्सपर्ट संजय ने आरटीआई एक्ट को आम जनता को दिए गए सभी अधिकारों, जिनमें कानूनी अधिकार भी हैं, को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए लाया गया कानून बताया l 


कार्यक्रम में अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ल और अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई और ज्ञानेश पाण्डेय ने प्रतिभागियों द्वारा आरटीआई शुल्क, प्रगटन से छूट प्राप्त सूचनाओं,भ्रष्टाचार रोकथाम में आरटीआई की भूमिका,सहायक जन सूचना अधिकारियों,जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के कर्तव्यों, यूपी आरटीआई नियमावली 2015 के नए प्राविधानों के साथ साथ अधिनियम के प्रयोग में आरटीआई आवेदकों को आ रही समस्याओं आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की l संजय, अशोक,ज्ञानेश, रुवैद और  उर्वशी ने  आरटीआई प्रयोगकर्ताओं द्वारा उठाये गए सबालों के जबाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया  l

कार्यक्रम में दबीर सिद्दीकी,सरदार कवलजीत सिंह,जय विजय,तनवीर अहमद सिद्दीकी,राम स्वरुप यादव समेत यूपी के विभिन्न  जिलों से आये लोगों ने प्रतिभाग किया l

अंत में कार्यक्रम की आयोजिका आरटीआई कार्यकत्री और अपंजीकृत सामाजिक संगठन येश्वर्याज की संस्थापिका और प्रबंधकीय सदस्य उर्वशी शर्मा ने आयोजन के लिए निःशुल्क स्थान देने के लिए कवलजीत सिंह को  और निःशुल्क सेवाएं देने के लिए संजय,रुवैद और अशोक के साथ-साथ कार्यक्रम में आने के लिए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी आगंतुकों से  पारदर्शी  और जबाबदेह लोकतंत्र की स्थापना के लिए आरटीआई एक्ट का अधिक से अधिक प्रयोग और प्रचार-प्रसार करने की अपेक्षा की l


Saturday, December 23, 2017

24-12-17 को लखनऊ में RTI ट्रेनिंग प्रोग्राम करेगा येश्वर्याज l




सामाजिक संगठन येश्वर्याज दिनांक 24 दिसम्बर 2017 को लखनऊ में  सूचना के अधिकार पर ट्रेनिंग का प्रोग्राम आयोजित कर रहा है जिसका विवरण निम्नवत है :
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पर कार्यशाला
स्थान                                              : 278/33/1, सरदार जी बिल्डिंग, ऐशबाग पुलिस चौकी के पास, ऐशबाग, लखनऊ
दिनांक एवं दिन                              : 24 दिसम्बर 2017, रविवार
पंजीकरण ( निःशुल्क ) समय          : 11 बजे पूर्वाह्न से 12 बजे दोपहर तक 
कार्यशाला ( निःशुल्क ) समय         : 12 बजे दोपहर से 4 बजे अपराह्न तक
आयोजक संस्था                                : येश्वर्याज ( अपंजीकृत सामाजिक संगठन )
                                                           संस्थापिका एवं प्रबंधकीय सदस्य – येश्वर्याज
आयोजिका                                        : उर्वशी शर्मा ( समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री )
निःशुल्क आरटीआई गाइड वितरण  : कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, नई दिल्ली के सौजन्य से
संपर्क मोबाइल                                   : 8081898081, 9369613513
संपर्क ई-मेल                                       : yaishwaryaj@gmail.com